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जन्नत में लगी है आग / सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'

लोग जन्नत है जिसे कहते
आज वह ज़मीन लाल हो गई
बेरहम दुनिया में जी के
इंसान की इंसानियत खो गई।

दूर-दूर क़दम बढ़ा कर
आए थे अमरनाथ दर्शन को
पत्थर की मूरत की जगह
आ गए असली भगवान को।

सरकार की नाक में नकेल डाल कर
ले जाना है उसे कर्तव्य पथ पर
वरना ना जाने कितने मरेंगे
सरकार की नपुंसकता पर।