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जपन मन श्याम का करने लगा है / रंजना वर्मा
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जपन मन श्याम का करने लगा है
मुहब्बत का नशा चढ़ने लगा है
किया जब से तुम्हे है मन समर्पित
तुम्हे ही रात दिन भजने लगा है
सुना वृषभानु की है लाडली जो
उसी से प्यार तू करने लगा है
अनोखी रास की धारा बही जो
उसे जग राधिका कहने लगा है
बनी है आरजू ही जुस्तजू अब
हृदय में सांवरा बसने लगा है
तुम्हारे विरह का सन्ताप है यह
जमा हिम भाव का गलने लगा है
सरस है हो गयी रसना हमारी
असर अब प्यार का दिखने लगा है
लगी है मंदिरों में भीड़ इतनी
अधर्मी पाप से डरने लगा है
जिधर भी इक नज़र तुम देख लेते
तुम्हारा प्रेम-नद बहने लगा है