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जब क़ैदी छूटते हैं-4 / इदरीस मौहम्मद तैयब

वे कहते हैं कि कल उत्सव है
और उत्सव की रात
तुम्हारी मौजूदगी उभरती है बनी हुई
और अचरज में डालने वाली
बाड़ के उस तरफ़ इच्छाएँ और बढ़ जाती हैं
और मुस्कराने लगता है संकल्प
जो दिल में पैदा होता है
एक स्वस्थ जीवन की पवित्र नदी की तरह
ख़ुशी से मेरे भीतर की झुर्रियों को छूता है
इसीलिए यह नदी रात के सीने में
एक गहरी क़ैद में
आने वाले बच्चों के उत्सव के लिए
ताज़ा और चौड़ी बन जाती है
मेरी स्त्री
तुम्हारा उत्सव यहाँ पर है
इसलिए अपने साहसी क़दम
एक ठोस ज़मीन पर रखो
और मेरी प्रतीक्षा करो ।

रचनाकाल : 22 फ़रवरी 1979

अंग्रेज़ी से अनुवाद : इन्दु कान्त आंगिरस