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जब जिंदगी का बोझ उठाना जरूर था / लव कुमार 'प्रणय'
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जब जिन्दगी का बोझ उठाना जरूर था
तब मौत को भी देखिए आना जरूर था
हम जा सके न छोड़ के दुनिया को इस लिये
कर्जा भी हर किसी का चुकाना जरूर था
आराम दर्द में भला होता भी किस तरह
जख़्मों में एक जख़्म पुराना जरूर था
भूले नहीं हैं हम तुम्हें कैसे बतायें अब
रिश्ते भी उम्र भर के निभाना जरूर था
रुस्बाई हो न जाय ,'प्रणय' अपने प्यार की
आँखों से बहते अश्क छुपाना जरूर था