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जब भी उठा है दर्द तेरा मुस्कुरा लिये / अनिरुद्ध सिन्हा
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जब भी उठा है दर्द तेरा मुस्कुरा लिये कुछ इस तरह भी आँख के मोती बचा लिये
जितने चमन के फूल थे घर में सजा लिए यारों ने खूब अपने मुक़द्दर बना लिये
ज़ख़्मी हुए हैं पाँव इन्हें देखना भी क्या हमने ही अपनी राह में काँटे बिछा लिये
इतने मिले हैं ज़ख्म ज़माने से दोस्तो रोने को जी किया तो ज़रा गुनगुना लिये
पहचान अपनी खूब छुपाई है आपने चेहरे पे अपने और भी चेहरे लगा लिये </poem>