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जब मिलूँगा आपसे तब शायरी हो जाएगी / कैलाश झा 'किंकर'

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जब मिलूँगा आपसे तब शायरी हो जाएगी
आपसे मिलकर ग़जल मेरी सही हो जाएगी।

होश खो बैठे सभी बस आपको ही देखकर
क्या पता था आँख की जादूगरी हो जाएगी।

भोर होते ही निकलता काम पर मज़दूर है
काम के बिन तो समस्या ही बड़ी हो जाएगी।

हौसला रखकर समय के साथ चलता हूँ सदा
आप भी मेरी तरह तो दोस्ती हो जाएगी।

सोचता हूँ आपको तो जागता विश्वास है
आपके पाँवों से धरती मखमली हो जाएगी।

जंग जैसी बद-जुबानी आज पूरे देश में
जीत भी जाएँ तो कल शर्मिंदगी हो जाएगी।