मैं तनिक भी विचलित नहीं हुआ
न पसीना छूटा, न लड़खड़ाए मेरे पैर
सब कुछ सामान्य था मेरे लिए
जब मुझे मेरे गुरु ने बरख़ास्त किया
और बनाया किसी खुशामदी को अपना
प्रधान शिष्य ।
बस इतना हुआ मुझसे
कि मैं बहुत जोर से हँसा ।
मैं तनिक भी विचलित नहीं हुआ
न पसीना छूटा, न लड़खड़ाए मेरे पैर
सब कुछ सामान्य था मेरे लिए
जब मुझे मेरे गुरु ने बरख़ास्त किया
और बनाया किसी खुशामदी को अपना
प्रधान शिष्य ।
बस इतना हुआ मुझसे
कि मैं बहुत जोर से हँसा ।