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जब वसन्त आया / मोहन राणा

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वसन्त आया

बहार लाया

हवा कुछ ग़रम

ठण्ड नरम

वसन्त आया

हँसता हुआ

रंग लाया फूलों

पत्तों में

ग्रीष्म से पहले नीला आकाश

हल्के कपासी बादल

लाया वसन्त अपने साथ

आया नहा-धो लम्बी नींद से

सुबह जल्दी उठ गया,

कब मुझे पता भी न चला अपने में डूबे

साथ हो लिया अचानक ही देखा

अरे वसन्त!


31.05.1996