भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जब सूर्य डूबा / आलोक श्रीवास्तव-२
Kavita Kosh से
जब सागर पर सूर्य डूबा
एक लहर जब
किनारे की चट्टान पर टूटी
तब याद आयी
वह लड़की
सागर पर डूबे सूरज का
रंग था जिसकी आँखों में
और टूटती लहरें
भीतर कहीं
दूर मन में ।