भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जब / ज़ाक प्रेवेर / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
जब सिंह-शावक चूसे दूध
सिंहनी जवान हो जाती है
जब अग्नि सत्ता की ओर बढ़े
धरती कँपकँपाती है
जब मौत प्रेम की बात करे
जीवन जैसे थम-सा जाता है
और जीवन जब मौत को याद करे
प्रेम मुस्कराता है ।
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय