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जमाने की तरह होते तो पत्थर दिल न हो जाते / अशोक रावत

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जमाने की तरह होते तो पत्थर दिल न हो जाते,
हमारे नाम पर भी कारख़ाने, मिल न हो जाते.

किसी को बेच दी होती अगर हमने भी खुद्दारी,
वजीफे और मैडल हमको भी हासिल न हो जाते.

उन्हें हम हौसला देते, जिन्हें बेसाखियाँ दे दीं,
हमारे साथ वो भी दौड़ के क़ाबिल न हो जाते.

अगर हमदर्द ही होते, तो पत्थर फेंकते ही क्यूँ,
मेरे दुख दर्द में चुपचाप तुम शामिल न हो जाते.

अगर थोड़ा बहुत अपने लिए भी सोच लेते हम
तो अपनों की नज़र में इस क़दर बोझिल न हो जाते,

किनारे पर खड़े होकर तमाशा देखने वालो,
मेरी उम्मीद से जुड़ते तो तुम साहिल न हो जाते.

बड़ों ने बीन कर फेंके हमारी राह से पत्थर,
सफ़र वरना हमारे और भी मुश्किल न हो जाते.