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जय भारती जननी! / यात्री
Kavita Kosh से
जय जय जय जय भारत जननी!
शत सहस्त्र संस्कृति संगमनी!
जय जय जय जय भारत जननी!
शतश्रुति, शतगंधा, शतरूपा!
शत रस ओ शत परम, अनूपा!
शत शत शत शत दल संचारिणि!
बिध्य-हिमाचल-शिखर-विहारिणि!
शत शत शश्य सुशोभित धरणी!
खनिज भरित, त्रिभुवन मन हरणी!
जय जय जय जय भारत जननी!
शत सहस्त्र संस्कृति संगमनी!
जय जय जय जय भारत जननी।