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जलम : अेक / विरेन्द्र कुमार ढुंढाडा़

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जलम म्हारो
मायतां रै हेत
बाजी थाळी
बंट्या लाडू
गइज्या गीत
मा हरखी
जाणै
मिलगी जीत
जीसा री मूंछ
होई ऊंची
भायां री चिंता
सांभी अंटी
पंपोळी कूंची
अब बंटसी
लाड अर लिछमी।

आज बंटग्यो घर
जकै रो
जलम री बगत
जाबक नी हो डर।