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जला है जंगल / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
जितना दीखता है
खिला
आग में जल कर
उतना ही
जला है जंगल
हर पेड़ कोई लपट है जैसे
—हरियल लपट
जला कर आग में
अपनी
मुझ को
जल कर देती हुई ।
—
15 अप्रैल, 2009