भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जल की रानी / प्रमोद कुमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

        मछली जल की रानी है
        उसका जीवन पानी है

बच्चे केवल कंठ से इसे नहीं गाते
उनके साथ गाने लगते माता-पिता
जो कब के भूल चुके गाना
नाच उठता पूरा घर
कंकरीट से बाहर आकर,

जल की वह रानी
लाई गई है दुकान पर

उसे मूल्य तालिका पर लटकाकर
दुकानदार पढ़ा रहे बच्चों को
मिटा रहे बच्चों का प्रिय
उसके नाम को

        बच्चों की आँखों में बोलने वाली
        जल की रानी
        भला क्या बोले दुकान पर !
जल की रानी के गीतों से समझनेवाले बच्चे
क्या गाएँ !