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जवान हुश्न है रखना ज़माल अच्छे से / गिरधारी सिंह गहलोत
Kavita Kosh से
जवान हुश्न है रखना ज़माल अच्छे से।
क़दम जरा तू ले अपने सँभाल अच्छे से।
अदा है खूब पलक को उठा गिराने की
अता किया है ख़ुदा ने कमाल अच्छे से।
वो जिसने बख़्श तुझे दी है हुश्न की दौलत
वही करेगा ख़ुदा देखभाल अच्छे से।
मची है खलबली तेरे गली में आने पर
कि आशिकों में उठेगा बवाल अच्छे से।
अना तुझे है अगर हुश्न की भले रखियो
मगर तमीज की देना मिसाल अच्छे से।
खड़ा हुआ है अगर बदतमीज़ रस्ते में
नज़र ज़ुबाँ का दिखाना जलाल अच्छे से।
मुझे करे न करे तू अगर मुहब्बत पर
भले रक़ीब हो रखना खयाल अच्छे से।
ज़ुकाम मर्ज़ ये कमबख्त छीनता है सुकूं
हुजूर साथ में रखना रुमाल अच्छे से।
'तुरंत' रोज तो मुश्किल है ढूँढना कोई
नया सा दाद की खातिर ख़याल अच्छे से।