भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जहर की सुई /रमा द्विवेदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


माना कि सौन्दर्य के प्रति,
स्त्री का विशेष लगाव,
सदियों से रहा है,
आधुनिक युग में यह सौन्दर्य-प्रेम,
बेतहासा,बेलगाम बढ़ा है
सौब्दर्य बढ़ाने की तमाम तकनीकें,
पीछे छूट गई हैं।
अब कमसिन दिखने की,
एक नई जहर की सुई ईजाद हुई है,
जिसके के लगवाने से चेहरे की झुर्रियां
कुछ हफ़्ते- महीने के लिए
गायब हो जाती हैं,
और सौन्दर्य में चार चाँद लग जाते हैं,
और फ़िर त्वचा,
पहले से भी ज्यादा,
कान्तिहीन हो जाती है,
फ़िर जहर की सुई लेनी पड़ती है,
विषकन्याएँ ऐसे ही तैयार की जाती थीं,
फ़र्क बस इतना है,
कि रूप- सौन्दर्य बढ़ाने के लिए
चेहरे पर जहर की सुई दी जाती है,
और विष-कन्या को जहर खिलाया जाता था,
यहाँ रूप-सौन्दर्य देखकर,
लोगों के होश खो जाते हैं,
और वहाँ विष-कन्या के काटने मात्र से
कभी होश में आते नहीं थे।