भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जहर ज़िंदगी का ये हम से पिया नहीं जाता / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
जहर ज़िंदगी का ये हम से पिया नहीं जाता
बिना तुम्हारे अब तो साथी जिया नहीं जाता
तुम्हें न हो पर हमें तुम्हारी बहुत जरूरत है
रहा साथ अब तक अब तुम से दिया नहीं जाता
अगर खिलौना टूटे जोड़ें कपड़ों को सी लें
लगा जख़्म जो दिल पर उस को सिया नहीं जाता
क्या सच समझूँ तुम जन्मों का रिश्ता तोड़ गये
निभा न पायें जो वह वादा किया नहीं जाता
बहुत जिंदगी प्यारी सब को जब चाहो ले लो
तेदेपा उठे दिल चैन किसी का लिया नहीं जाता
हमें अकेली बीच राह में यों ही छोड़ गये
किया जिसे पहले वो अब अनकिया नहीं जाता
जला दिये हैं दीप याद के मन के मंदिर में
दिया किसी को पर मंदिर का दिया नहीं जाता