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जहाँ पूरी तरह चुप्पी छाई हुई है / फ़ाज़िल हुस्नु दगलार्चा / अनिल जनविजय
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ऐसे भी दौर आते हैं जब सभी जीवन को
मौत की तरह याद करते हैं
जैसे-जैसे समय बीतता है
कुछ जगहों पर
हलचल होती है जन साधारण की
कोई कहता है —
शैतान मर गया
शंका भरी डरावनी आवाज़ में
बेसहारा हूँ मैं
मुझे झेलना होगा भारी अकेलापन
काश ! इस दुनिया में
मेरा जीवन भी मुरझा जाता
यही कोशिश कर रहा हूँ मैं
फिर वहाँ छा जाएगी पूरी तरह चुप्पी
यहाँ तक कि
ख़ुदा भी मर चुका होगा !
रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय