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जहाँ फूल खिल कर बिखरते नहीं हैं / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
जहाँ फूल खिलकर बिखरते नहीं हैं ।
चमन वे कभी भी उजड़ते नहीं है।।
उन्हीं के सफलता कदम चूम लेती
निराशा से जो प्यार करते नहीं हैं।।
भरोसा जिन्हें कर्म की श्रृंखला पर
कुपथ पर कभी पाँव रखते नहीं हैं।।
नहीं शुद्ध होते कभी हाथ उनके
गरीबों को जो दान करते नहीं हैं।।
जिन्हें ध्यान से सींचता रोज़ माली
वो पौधे जमीं से उखड़ते नहीं है।।
भला किस तरह उन का चलना सफल हो
कभी सत्य की राह चलते नहीं हैं।।
हमेशा जो इज्जत करें औरतों की
बुरी राह पर पाँव धरते नहीं हैं।।