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जहां थोड़ा-सा सूर्योदय होगा / चन्द्रकान्त देवताले
Kavita Kosh से
पानी के पेड़ पर जब
बसेरा करेंगे आग के परिंदे
उनकी चहचहाहट के अनंत में
थोड़ी-सी जगह होगी जहां मैं मरूंगा
मैं मरूंगा जहां वहां उगेगा पेड़ आग का
उस पर बसेरा करेंगे पानी के परिंदे
परिंदों की प्यास के आसमान में
जहां थोड़ा-सा सूर्योदय होगा
वहां छायाविहीन एक सफेद काया
मेरा पता पूछते मिलेगी