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जहिया से पिया मोरा तेजलें भवनवाँ से सपनवाँ भइलें ना / महेन्द्र मिश्र

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जहिया से पिया मोरा तेजलें भवनवाँ से सपनवाँ भइलें ना।
रस भरल बचनवाँ से सपनवाँ भइलेंना।
एक मन करे राम साथे लागि जइतीं से दोसर मनवाँ ना।
पियऊँ देतें दरसनवाँ से सपनवाँ भइलेंना।
बिरहा के अगिया में भइली बिरहिनियाँ से भवनवाँ लागे ना।
जइसे जरत अँगनवा हो भवनवाँ लागे ना।
अब ना रहब राजा तोहरी महलिया हो ननदिया बोलिया ना।
महेन्दर सालेला बदनवाँ हो ननदिया बोलिया ना।