भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ज़ख़्म / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत
Kavita Kosh से
डॉक्टर ने पूछा —
कविता करते हो?
मैंने कहा — हाँ, लेकिन
आपने कैसे पहचाना?
वे बोले —
ज़ख़्म अब तक भर
जाना चाहिए था।
कविता लिखना बन्द कर दो
यही इलाज है ज़ख़्म का।
मैंने कहा —
रहने दीजिए, डॉक्टर
मुझे इस ज़ख़्म को सँजोकर रखना होगा।
मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत