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ज़माना पहले / कंस्तांतिन कवाफ़ी
Kavita Kosh से
इस याद को मैं बखानना चाहूँगा...
लेकिन अब इतना झिलमिला गई है यह...शायद ही बचा है कुछ -
ज़माना पहले थी यह क्योंकि, मेरी मसें भीगने के सालों में।
एक त्वचा मानो चमेली से बनी...
अगस्त की उस शाम - क्या वह अगस्त था ? - उस शाम...
अब भी ला सकता हूँ पर याद में आँखें : नीली, मैं सोचता हूँ वे थीं...
अरे हाँ,नीली : एक नीला नीलम ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : पीयूष दईया