Last modified on 9 सितम्बर 2009, at 22:43

ज़मानेवालों को पहचानने दिया न कभी / साक़िब लखनवी


ज़मानेवालों को पहचानने दिया न कभी।
बदल-बदल के लिबास अपने इनक़लाब आया॥

सिवाय यास न कुछ गुम्बदे-फ़लक से मिला।
सदा भी दी तो पलटकर वही जवाब आया॥