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ज़रा ठहरो-दो / सुदर्शन वशिष्ठ
Kavita Kosh से
पशुओं को नहीं पिलाया पानी
तोते को नहीं दी चूरी
सास की नहीं ली सीस
दूध पिला लूँ म्याऊँ को
फिर चलूँ।
अरे अभी पानी तो भरा ही नहीं
बरतन खाली हैं
आटा नहीं गूँधा
काटी नहीं सब्ज़ी
ज़रा चूल्हा तो ज़ला लूँ
फिर चलूँ।
बेटी की नहीं हुई विदाई
बेटा अभी खड़ा नहीं हुआ
बीमार है ससुर
जरा दवाई तो पिला लूँ
फिर चलूँ।
चुकाने हैं कुछ कर्ज़
पूरे करने हैं कुछ फ़र्ज़
करने हैं अभी कुछ फैसले
हल करने हैं कुछ मसले
उगानी हैं कुछ फ़सलें
जरा बीज सुखा लूँ
फिर चलूँ।
बहुत काम पड़ा है अभी
क़रने को
जरा टाईम नहीं है मरने को
ज़रा साँस तो ले लूँ
फिर चलूँ।
अभी? न न अभी नहीं
ज़रा ठहरो
फिर आना फिर कहना
सब काम निपटा लूँ तक तक
फिर चलूँ।