भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ज़रा सी देर में दिलकश नज़ारा डूब जाएगा / जतिन्दर परवाज़

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़रा सी देर में दिलकश नजारा डूब जाएगा
ये सूरज देखना सारे का सारा डूब जाएगा

न जाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं
हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जाएगा

सफ़ीना हो के हो पत्थर हैं हम अंजाम से वाक़िफ़
तुम्हारा तैर जाएगा हमारा डूब जाएगा

समन्दर के सफ़र में क़िस्मतें पहलू बदलती हैं
अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जाएगा

मिसालें दे रहे थे लोग जिसकी कल तलक हमको
किसे मालूम था वो भी सितारा डूब जाएगा