भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ज़िंदगी गुलजार कर / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
Kavita Kosh से
ज़िंदगी गुलजार कर।
आ मुझे तू प्यार कर।।
ये पवन ले चल उड़ा।
सात समन्दर पार कर।।
गर मिले मझधार तो।
हाथ दो-दो चार कर।।
कृष्णा कन्हैया बनो।
यार का उद्धार कर।।
गोपियों के संग तुम।
रास को रसधार कर।।
राधा से तुम प्यार कर।
बाग को मनुहार कर।।