भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ज़िन्दगी का ज़िन्दगी से वास्ता जिंदा रहे / अशोक अंजुम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़िन्दगी का ज़िन्दगी से वास्ता जिंदा रहे
हम रहें जब तक हमारा हौसला जिंदा रहे

वक़्त ने माना हमारे बीच रख दीं दूरियाँ
कोशिशें ये हों, दिलों में रास्ता जिंदा रहे

ऐ मेरे दुश्मन! तुझी ने दी मुझे जिंदादिली
मैं अगर जिंदा रहूँ, तू भी सदा जिंदा रहे

प्यार से सुलझाइये, हल गुत्थियां हो जायेंगी
जब तलक संसार है ये फलसफा जिंदा रहे

मेरी कविता, मेरे दोहे, गीत मेरे और ग़ज़ल
मैं रहूँ या न रहूँ मेरा कहा जिंदा रहे