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ज़िन्दगी के गीत गा ना / पुरुषोत्तम प्रतीक

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कुछ सुना ना !
ज़िन्दगी के गीत गा ना !

जीवन—
पकड़ना मछलियाँ
—अपने पसीने में
फिर पकाना
खा न पाना
ज़िन्दगी का गीत गाना
आज तक सदियों पुराना !

जीवन
उड़ाना मछलियाँ
—डटकर करीने से
क्या पकाना
सिर्फ़ खाना
सिलसिला सदियों पुराना
ज़िन्दगी के गीत गाना !