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ज़िन्दगी क्या है? / एरिष फ़्रीड
Kavita Kosh से
जिन्दगी
मेरे हम्माम में पानी की
गर्माहट है
जिन्दगी
न्योता देती तुम्हारी गोद मे
मेरा धंसा हुआ चेहरा है
जिन्दगी
हमारे मुल्कों में फैली नाइन्साफी पर
दहकता हुआ गुस्सा है
पानी की गर्माहट
काफी नहीं है
मुझे उसमें डूबना है
तुम्हारी गोद में धंसा मेरा चेहरा
काफी नहीं है
मुझे उसे चूमना है
नाइन्साफी पर गुस्सा
काफी नहीं है
[जर्मन से अनुवाद - उज्जवल भट़टाचार्य]