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ज़ुल्फ़ तेरी ने परेशाँ किया ऐ यार / अहसनुल्लाह ख़ान 'बयाँ'

ज़ुल्फ़ तेरी ने परेशाँ किया ऐ यार मुझे
तेरी आँखों ने किया आप सा बीमार मुझे

दिल बुझा जाए है अग़्यार की शोरिश पे मेरा
सर्द करती है तेरी गर्मी-ए-बाज़ार मुझे

अक़्ल ही मोजिब-ए-तकलीफ़ हुई है नादाँ
कर गई बे-ख़बरी आ के ख़बर-दार मुझे

तख़्त और चित्र सलातीं को मुबारक होवे
बस है कूचे में तेरे साया-ए-दीवार मुझे

जूँ मिसाल उस की नुमूदार हुई तूँ ही 'बयाँ'
तपिश-ए-दिल ने किया ख़्वाब से बेदार मुझे