ज़ुल्म की बारिश / बाल गंगाधर 'बागी'
बरसात के मौसम में
मूसलाधार बारिश में
तुम्हारे घोंसलों को
जब कोई उजाड़ दे
तब कैसे रह सकोगे
अपने आशियाने में
बेघर वीराने में
तूफानी हवा में अगर
तुम्हारा घर जलाया जाये
अपने आंसू से क्या बुझा सकोगे
अपने सपनों के आशियाने को
दिल के मकानों को
जिसमें तुम्हारे नन्हें-नन्हंे बच्चे हों
जिन्हें आग की लौ में डाल दिया गया हो
तुम्हारा भविष्य तुम्हारे सामने जल रहा हो
तब अपने आंसू से बुझा सकोगे आग
बचा सकोगे अपनी लाज
अदालत में कहा जाये
तुमने हत्या व चोरी की
ऊपर से सीनाजोरी की
सजा सुना दिया जाए
हो जाए आजीवन कारावास
ये सजा कानों से सुन सकोगे
सारे इल्जाम, भरे समाज
सजा सुना दिया जाये
तब कोर्ट का न्याय
समाज का यह दर्शन
किन शब्दों में बयान कर सकोगे
आंसू की स्याही से
दर्द की कलम से
या हाथ में बंदूक उठाकर
बरसती गोलियों से...