भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जाके मथुरा कान्हांनें घागर फोरी / मीराबाई

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जाके मथुरा कान्हांनें घागर फोरी। घागरिया फोरी दुलरी मोरी तोरी॥ध्रु०॥
ऐसी रीत तुज कौन सिकावे। किलन करत बलजोरी॥१॥
सास हठेली नंद चुगेली। दीर देवत मुजे गारी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल चितहारी॥३॥