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जागो / नजवान दरविश / राजेश चन्द्र
Kavita Kosh से
चिरकाल तक नहीं बल्कि देर तक जागो
और अब से अनन्तकाल के पहले तक
मेरी जागृति एक लहर है फेनिल और झागदार
जागो ऋचाओं में और डाकिये के जुनून में जागो
जागो उस घर में जिसे कर दिया जाएगा मटियामेट
उस क़ब्र में, मशीनें जिसे खोदने वाली होंगी :
मेरा देश एक लहर है फेनिल और झागदार
जागो कि उपनिवेशवादियों को जाना ही पड़े
जागो कि लोग सो सकें
’हर किसी को कुछ देर सोना चाहिए’
वे कहते हैं
मैं जाग रहा हूँ
और तैयार हूँ मरने के लिए
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र