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जातरा / मदन गोपाल लढ़ा
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कठै ई
खतम कोनी हुवै
जातरा
जठै पूरी हुवै
बठै सूं ई
सरू हुय जावै
नूंवीं जातरा
छेकड़ली सांस तांई
चाल बोकरै
जूण-जातरा।