जातिवादें नाशनें छै सुखशांति सबके ही
देश के सुरक्षा पेॅ प्रश्न दिन-रात छै।
केकरहौ नें एकरोॅ निदान सूझै सही-सही
रीढ़ तोड़ला हेनोॅ ई संतन जमात छै।
पाप उगथै जेना केॅ धर्मोॅ केॅ चिबाय लियेॅ
तहीना यै राकसेॅ के बड़का अघात छै।
कुच्छ नै सुहाबै कभी सोची घबराबै सब,
सुजनेॅ के छाती पर दुर्जनों के लात छै।