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जात मनुष की एक बणाई छुआछात कर्‌या नहीं करै सैं / अमर सिंह छाछिया

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जात मनुष की एक बणाई छुआछात कर्‌या नहीं करै सैं
हेरै रै रै बेइमान।...टेक

डॉ. अम्बेडकर लग्या पढ़ण नै न्यारा दिखे बिठाया।
प्यास लगी जब मांग्या पाणी ऊपर तै पियाया।
नादान उम्र थी भीम की वो बहुत घणा सरमाया।
इसे बात के ऊपर उसके करन्ट गात म्हं आया।
इंसान तो इंसान होवै सैं गधा नहीं करै सैं...

जैसे राख्या वैसे रह्या आपणा बख्त बिताया था।
बिना पढ़ाई ना होती तरक्की ध्यान इसे म्हं लाया था।
दिन-रात न्यू करके मेहनत उसनै लाभ उठाया था।
सारे स्कूल म्हं रुक्का पड़ग्या यो सब म्हं फस्ट आया था।
जख्म हरा घा पै नमक लगाया नहीं करै सैं...

फेर कॉलेज म्हं लिया दाखिला वो याहे चाह्वै था।
जो अक्षर मुंह तै काढ्या वो ए लिखा पावै था।
साईंस अंग्रेजी म्हं होशियार इतना मास्टर भी चकराया था।
डॉ. अम्बेडकर इस भारत म्हं पहले नमबर आया था।
यो तारां म्हं चांद इसनै छिपाया नहीं करै सैं...

डिग्री वकालत दोनों सेती ध्यान उसका फिरग्या।
राजनीति के देखैं कानून सारा पेटा भरग्या।
इन गरीबां के दुख दूर करूंगा जै हुकम मेरा चलग्यां।
उसे दिन होगा राज इनका जिस दिन इकलास इनका बणग्या।
आपा मरे बिना अमरसिंह स्वर्ग मिला नहीं करै सैं...