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जादू / संजय कुंदन
Kavita Kosh से
कौन-सी चीज़ कब जादू कर दे
कहना मुश्किल है
किसी दिन चले गए चौलाई साग लाने
पाँच किलोमीटर दूर पैदल प्रचण्ड धूप में
फिर स्वाद-स्वादकर खाया और दूसरों को भी बताया
कई दिनों तक चर्चा की
कोई कह सकता है एक मामूली चीज़ के लिए
ऐसा पागलपन ... क्या मतलब है !
अब जादू तो जादू होता है
वह बड़ा या छोटा नहीं होता
एक दिन आया भीख माँगता कोई
पता नहीं ऐसा क्या गाया कि भर्रा गया गला
मन न जाने कहाँ चला गया कितने बरस पीछे
कि लौटना मुश्किल हो गया
भटकते रहे एक पुराने शहर में
ताकते रहे खिड़कियों पर
न जाने क्या खोजते रहे ?