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जाना है नदियों को मैंने / लैंग्स्टन ह्यूज़ / राजेश कुमार झा

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नदियाँ —
पुरातन इस दुनिया की तरह,
इनसान की नसों में बहते लहू से भी पुरानी ।
मेरी आत्मा हो चुकी है गहरी —
नदियों की तरह ।

मैंने डुबकियाँ लगाई थीं फ़रात में —
सुबह पैदा हुई थी बस तभी ।
कांगों के किनारे मैंने बनाई झोंपड़ी अपनी,
सुलाया था इसने मुझे लोरियाँ सुनाकर ।

विहंगम दृष्टि डाली मैंने नील पर
और खड़ी कर दीं पिरामिडें इसके ऊपर ।
मिसिसिपी के संगीत का स्पन्दन सुना था मैंने
जब लिंकन ने प्रयाण किया था न्यू ऑर्लियंस को
और देखा था इसके गन्दले तलछट को,
डूबते सूरज की किरणों में सुनहला होता ।

जाना है नदियों को मैंने ।
प्राचीन, धूमिल नदियाँ ।
मेरी आत्मा हो चुकी है गहरी — नदियों की तरह ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश कुमार झा

लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
              Langston Hughes
    The Negro Speaks of Rivers

I’ve known rivers:
I’ve known rivers ancient as the world
and older than the flow of human blood
in human veins.

My soul has grown deep like the rivers.

I bathed in the Euphrates when dawns were young.
I built my hut near the Congo and it lulled me to sleep.
I looked upon the Nile and raised the pyramids above it.
I heard the singing of the Mississippi
when Abe Lincoln went down to New Orleans,
and I’ve seen its muddy bosom
turn all golden in the sunset.

I’ve known rivers:
Ancient, dusky rivers.

My soul has grown deep like the rivers.