भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जाना / आशुतोष दुबे

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जाना ही हो,
तो इस तरह जाना
कि विदा लेना बाक़ी रहे
न ली गई विदा में इस तरह ज़रा सा
हमेशा के लिए रह जाना !