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जाने किस आस में बूँद / सुमन केशरी
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ये तो अजब वाक़या हुआ
कल सवेरे टीले के बग़ल से गुज़रते हुए
पत्ते पर पड़ी जल-बूँद
अचानक पुकारते हुए साथ हो ली
जाने वह बूँद ओस की थी या
किसी आँख के पानी की
क्या वह थी, या है अब भी
मौजूद इस देह में
जाने किस रूप में
जाने किस आस में...