ये तो अजब वाकया हुआ
कल सवेरे टीले के बगल से गुजरते हुए
पत्ते पर पड़ी जलबूंद
अचानक पुकारते हुए साथ होली
जाने वह बूंद ओस थी या
पानी किसी आँख का
क्या वह बीत गई थी
या है वह अब भी
मौजूद इस देह में
जाने किस रूप में…
जाने किस आस में…
ये तो अजब वाकया हुआ
कल सवेरे टीले के बगल से गुजरते हुए
पत्ते पर पड़ी जलबूंद
अचानक पुकारते हुए साथ होली
जाने वह बूंद ओस थी या
पानी किसी आँख का
क्या वह बीत गई थी
या है वह अब भी
मौजूद इस देह में
जाने किस रूप में…
जाने किस आस में…