जाने कैसे सपनों में खो गई अँखियाँ ।
मैं तो हूँ जागी मोरी सो गई अँखियां ।
अजब दीवानी भई मो से अनजानी भई,
पल में पराई देखो हो गई अँखियाँ।
मैं तो हूँ जागी मोरी सो गई अँखियाँ।
बरसी ये कैसी धारा काँपे तन-मन सारा,
रंग से अंग भिगो गई अँखियाँ।
मैं तो हूँ जागी मोरी सो गई अँखियाँ।
मन उजियारा छाया जग उजियारा छाया,
जगमग दीप संजो गई अँखियाँ।
मैं तो हूँ जागी मोरी सो गई अँखियाँ।