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जाने वाले की याद में... / पल्लवी मिश्रा

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कल तक बिस्तर से जो उठ न पाया
आज दुनिया से उठकर चला गया।
ईश्वर तेरी मायानगरी में देखो
इंसां फिर से छला गया।

रिश्ते-नातों का हर बन्धन
इक झटके में ही तोड़ गया वह;
क्या अपने? क्या बेगाने? सबको
रोता-बिलखता छोड़ गया वह।

पल, क्षण, दिन, सप्ताह, महीने
और बरस बीतते जाएँगे;
पर एक झलक पाने को उसकी
ये नैन तरस रह जाएँगे।

फिर भी जिसने जीवन दान दिया है,
ऋण उसका चुकाना होगा;
उसकी दी हुई नेमतों के बदले
यह एक सितम उठाना होगा।

ईश्वर की दुनिया में भी
इंसानों की कमी है शायद;
लेकिन तुझको पास बुलाकर
उसकी आँखों में भी नमी है शायद।