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जानो-दिल हम निसार करते हैं / चाँद शुक्ला हदियाबादी
Kavita Kosh से
जानो-दिल हम निसार करते हैं
प्यार की तरह प्यार करते हैं
हुस्न की ख़ूबसूरती में हम
उनकी सीरत शुमार करते हैं
मिस्ले-मजनूँ जुदाई में उनकी
अपना दिल-तार-तार करते हैं
उनका शेवा है गुल मसल देना
हम तो काँटों से प्यार करते हैं
रू-ब-रू उनके आके छुप जाना
वो बहुत बेक़रार करते हैं
क्या करें चाँद उनकी फ़ुर्क़त में
हम तो तारे शुमार करते हैं