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जानो / राजकिशोर सिंह
Kavita Kosh से
जानो दुऽ में कैसे जिया जाता है
अकेले में कैसे रहा जाता है
दुनिया में अगर
न मिले कोई अपना
तो जानो
दुश्मनों के साथ
समय कैसे बिताया जाता है
जानो एक बड़ी यात्रा
दुर्लभ है
अगम्य है
सपफर कुछ छोटे कदमों से
कैसे शुरु किया जाता है
जानो सुन्दर चमकीले शीशे
तिनके से भी टूटते हैं
टीले विशाल होते हैं
जब तिनका-तिनका
जुटता है
जानो कर्कशता से
कैसे होता है नुकसान
कोई सँभला हुआ काम
अच्छी वाणी से
कैसे होता है आसान
कोई उलझा हुआ काम।