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जाल / रेणु हुसैन
Kavita Kosh से
छत पर टांग दिया है अम्बर
दिवारों पर रंग नया
तस्वीरें कुछ सुंदर-सुंदर
खिड़की पर मनभावन पर्दा
फ़र्श चमाचम शीशे जैसा
सेज सजाई प्यार-सी कोमल
फूलदान में ताजे फूल
खूब सजाया कमरा अपना
फिर भी मन के इक कोने में
कोई मकड़ी बना रही है
अपना जाल