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जाळ / किशोर कुमार निर्वाण
Kavita Kosh से
मकड़ी बणावै जाळ
पतळो अर झीणो-झीणो
जकै मांय फंस जावै
केई जीव-जंत
गंवा देवै
आपरी जान।
मिनख ई बणावै जाळ
बिना धागां रो झीणो-झीणो
जको दीखै ई नीं
फंस जावै
केई जीव-जंत
अर भोळा मिनख
खो देवै सो क्यूं ई!