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जा, सपनों से खेलना / शकुंतला सिरोठिया
Kavita Kosh से
निंदिया की गोदी में
सो जा मेरे लालना!
सूरज भी सो गया
पेड़ सभी सो गए,
पत्तों की गोदी में,
फूल सभी सो गए।
तू भी चुप सो जा,
जा, सपनों से खेलना!
चिड़ियां भी सो गईं
चिरौंटे भी सो गए,
गोदी में छिप उनके
चुनमुन भी सो गए।
तू भी चुप सो जा,
झुलाऊं तुझे पालना!